कभी कभी यह फोटो देखकर मन भर जाता है कि किस तरह से भाई मेहनत करते हैं उनके छोटे भाई जो भी उन्हें देते हैं बड़े प्रेम से खा लेते हैं 
यह फोटो हमारे द्वारा लिया गया है जब हम सभी सोनभद्र जा रहे थे और भाई को भुख लगी थी और हमारे पास भी कुछ नहीं था और पैसे का अभाव था क्यो कि जो पैसे थे हम किराए कि गाड़ी कर लिए थे और भाई कहते हैं भुख लगी है तो हम लोग एक घर पर पंचशील का झंडा देखकर गाड़ी रोक दिया और उनसे आग्रह किया कि हमारे साथ मान्यवर कांशीराम जी के पुत्र भाई चंद्रशेखर आजाद जी है और हमें कुछ खाने को चहिए तो उन्होंने बताया कि आप 30 मिनट तक रुकिए हम तुरन्त भोजन बनवाते है तो भाई कहते हैं कि आप के पास जो भी हो हमें खिला दिजीए और परेशान ना होइए हमें भाईयों के बिच जाना ज्यादा जरूरी क्यों कि हमारे लिए ख़ाना जरूरी नहीं अपने भईयो कि लड़ाई लड़ना ज्यादा जरूरी है तो उन्होंने हमें अपने घर में ले जाते हैं और भाई समेत 4साथी बहर बैठें रहते हैं और कहते हैं कि खाने के लिए केवल रोटी ही बची है और सुबह सब भोजन कर लिए है और थोड़ा ही दाल चावल होगा तो हम कहते हैं कि आप हमें रोटी और प्याज और नमक मिर्च दे लिजिए हम खा लेंगे और वह हमें 4प्याज थोड़ा नमक मिर्च और 14 रोटीयां देते हैं और मैं बाहर आ कर भाई से कहता हूं आप चलिए हमने रोटी पैक करा लिया है और भाई उनको धन्यवाद कहते हैं और हम सभी गाड़ी मैं बैठकर चलते हैं और भाई को रोटी देते हैं भाई बड़े मस्ती से खाते हैं और पानी पिते है और हमारी गाड़ी सोनभद्र कि तरफ तेजी से बढ़ने लगती थी और हम भाई से बात करते हुए सोनभद्र पहुंच जाते हैं



भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद का सियासी सिलसिला यूं ही परवान नही चढा कुछ तो है बंदे जो इतने कम समय में देश के विभिन्न भागों में अपना जलवा मनवा रहा है। चाहे राज्य कोई सा भी हो और सरकार किसी भी राजनीतिक दल की क्यों ना हो चंद्रशेखर आजाद को वहां सभा, रैली करने से रोक दिया जाता है। आखिर कब इस तरह का उनकी आवाज को सरकारें अपने हिसाब से चुप करा सकती है। चंद्रशेखर आजाद भाई ने बाबा साहब अम्बेडकर जी को जाना है और इस बात को भी जानते हैं कि जितना ज्यादा दबाओगे हम उनता ही उबर कर बाहर आयेंगे। जब संविधान पूर्ण रूप से लागू नही हो जाता है तब भाई के साथ मिलकर हम काम करते रहेंगे।


चंद्रशेखर आजाद के सफर एक साथी की कलम से

जय भीम जय भारत जय भीम आर्मी जय संविधान